
पीरियड्स के कुछ मिथक और तथ्य, जो आपको जानना ज़रूरी है!
पीरियड्स में क्या खाना चाहिए? क्या पीरियड्स जल्दी लाने के लिए कोई व्यायाम है? पीरियड्स में कैसे उठना बैठना चाहिए? अगर पीरियड्स के दौरान आपको दर्द हो तो ऐसे में आपको क्या करना चाहिए? पीरियड्स के इन पाँच दिनों में आपको कैसे रहना चाहिए? क्या ऐसा किसी ने आपको कोई रुल बुक दिया है?
सही मायने में पीरियड्स में क्या होता है, और पीरियड्स को लेकर कई प्रकार के मिथक और अंधविश्वास हैं जिनके बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।
मिथक 1. पीरियड्स में दही, इमली की चटनी और अचार नहीं खाना चाहिए।
आखिर खट्टा खाने से पीरियड्स में क्या होता है? अगर आपको किसी ने यह सलाह दी है कि पीरियड्स के दिनों में खट्टा नहीं खाना चाहिए क्योंकि फ्लो ज़्यादा हो जाता है, तो यह सलाह गलत है। अगर आपको पीरियड्स में दर्द हो तो क्या करें, ये सोच रहे हैं तो आपको ये बात जाननी ज़रूरी है कि आप क्या खाते हैं वो आपके ब्लीडिंग का फ्लो तय नहीं करता। लेकिन आप व्यायाम, दवाई और गर्म पानी की सिकाई की मदद से अपना दर्द कम कर सकते हैं।
मिथक 2. पीरियड्स के दौरान लड़कियां गंदी और अशुद्ध होती हैं।
पीरियड्स होना एक सामान्य बात है। लड़कियों का शरीर बना ही ऐसा है कि उन्हें हर महीने ब्लीडिंग होती ही है। इसमें कुछ गंदा या असामान्य नहीं है। ये एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। कई लोग इस मिथक में विश्वास करते हैं और पीरियड्स के दिनों में लड़कियों को अलग कर देते हैं, न तो उन्हें परिवार के साथ खाने देते और न ही उन्हें घर के कमरों में प्रवेश करने देते। यहां तक कि रसोई घर में प्रवेश करने पर भी पाबंदी लगा दी जाती है क्योंकि उनका मानना है कि "पीरियड्स के दौरान लड़कियां गंदी होती हैं और वो भोजन को अशुद्ध कर देंगी।"
मिथक 3. पीरियड्स के दौरान लड़कियों को व्यायाम नहीं करना चाहिए।
अगर पीरियड्स के दिनों में दर्द हो तो क्या करना चाहिए? व्यायाम! जी हां। लेकिन कई लोग आपको ये सलाह देंगे की पीरियड्स के वक्त कोई व्यायाम या कोई बाहरी काम न करें और आराम करें क्योंकि व्यायाम करने से आपके ब्लीडिंग का फ्लो ऊपर नीचे हो सकता है। पर सच तो यह है कि पीरियड्स के दौरान व्यायाम करने से आपके पेट का दर्द कम हो जाता है।
कई बार लड़कियां पीरियड्स जल्दी लाने के लिए व्यायाम भी करती हैं लेकिन ये तरीका 100% असरदार नहीं होता। किसी ज़रूरी डेट या इवेंट से पहले पीरियड्स जल्दी लाने के लिए व्यायाम नहीं, महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ निर्धारित दवा का ही इस्तेमाल करें।
मिथक 4. लड़कियों को पीरियड्स के बारे में सार्वजनिक रूप से बात नहीं करनी चाहिए।
पीरियड्स के बारे में हम अक्सर सार्वजनिक रूप से बात करने में कतराते हैं क्योंकि हमें डर लगता है की कोई हमें जज करेगा या हमारे बारे में गलत सोचेगा। लेकिन पीरियड्स होना सामान्य है और हमें इसके बारे में बात करने में शर्माना या घबराना नहीं चाहिए।
मिथक 5. पीरियड्स के दिनों में बाल नहीं धोने चाहिए।
अक्सर लड़कियों को सलाह दी जाती है कि पीरियड्स के दिनों में बाल नहीं धोने चाहिए क्योंकि उससे इनफर्टिलिटी यानी बांझपन होने के संयोग बने रहते है पर यह झूठ है। बायोलॉजिकली आपके बाल धोने से आपके इनफर्टाइल होने का कोई संबंध नहीं है।
मिथक 6. पीरियड्स एक हफ्ते में खत्म हो जाना चाहिए।
हर महिला की बॉडी अलग होती है और वह अलग तरीके से काम करती है। इसलिए सभी मेंस्ट्रुअल साइकिल अलग होती है। बदलती उम्र के अनुसार भी इस साइकिल में बदलाव आते रहते हैं। किसी महिला को पीरियड्स कम दिन तो किसी को ज्यादा दिनों तक होते हैं।
मिथक 7. पीरियड्स के दौरान महिला प्रेगनेंट नहीं हो सकती।
हालांकि पीरियड्स के दौरान गर्भ धारण करने के गुंजाइश कम होती है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि महिला पीरियड्स के समय गर्भवती नही हो सकती।
मिथक 8. पैड के इस्तेमाल से ब्लीडिंग कम होती है।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है और न ही इस बात के कोई सबूत हैं कि पैड के इस्तेमाल से महिलाओं की ब्लीडिंग कम होने लगती है। पैड का इस्तेमाल करने से पीरियड्स के दौरान महिलाओं को आसानी और आराम महसूस होता है। यह पहले ज़माने में इस्तेमाल हो रहे कपड़ों की अपेक्षा ज़्यादा आरामदायक होता है।
मिथक 9. पीरियड्स में पेड़ पौधों को नहीं छू सकते।
कई लोग इस धारणा पर भरोसा करते हैं कि पीरियड्स के दौरान अगर महिलाओं की छाया किसी पेड़ पर पड़ेगी तो वह सूख जाएगा। यह ग़लत है। पीरियड्स में महिलाओं को अपनी देखभाल करने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
यह महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है और इसे लेकर किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इसका सही ज्ञान होना आवश्यक है। यदि फिर भी आपके मन में कोई संकोच है तो आप महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें।