Written by Newsest » Updated on: June 30th, 2025
हर रोज़ जब लोग फोन उठाकर न्यूज़ पढ़ते हैं, तो अब सबसे पहले एक शक ज़रूर होता है – "ये खबर असली है भी या फिर बस हेडलाइन में मसाला डालकर छाप दी गई है?" आज जब टीआरपी, क्लिकबेट और वायरल कंटेंट की दुनिया में सच्ची खबरें कहीं पीछे छूट रही हैं, ऐसे समय में अगर कोई प्लेटफॉर्म दावा करे कि वो ‘सिर्फ खबर नहीं, उसका असर भी दिखाएगा’ — तो curiosity बनती है। Newsest इसी सोच के साथ मैदान में उतरा है। लेकिन ये सिर्फ दावा नहीं करता, ये अपने काम से लोगों को रोज़ यकीन दिलाता है।
Newsest कोई आम पोर्टल नहीं है। ना ही यह सिर्फ खबरें कॉपी-पेस्ट करके छाप देने वाली वेबसाइट है। इसकी टीम सोचती है, रिसर्च करती है, और फिर एक खबर को इस तरह से आपके सामने रखती है कि वो सिर्फ पढ़ी न जाए, बल्कि समझी भी जाए। यहाँ रिपोर्टिंग एक प्रोसेस है — और उस प्रोसेस में ग्राउंड विजिट, पब्लिक फीडबैक, अफसरों के बाइट, और डाटा एनालिसिस सब शामिल होता है। उदाहरण के तौर पर जब यूपी के स्कूलों में फीस बढ़ोतरी को लेकर हंगामा हुआ था, तो Newsest ने सिर्फ एक प्रेस रिलीज छापने की जगह स्कूल गेट के बाहर खड़ी मां-बेटी से बात की। बच्ची ने कहा, “मम्मी कहती हैं अब कोचिंग बंद करनी पड़ेगी।” इस एक लाइन ने वो असर डाला जो बड़े-बड़े रिपोर्ट्स नहीं कर पाते।
आजकल के बड़े चैनलों में रिपोर्टर कम और स्क्रिप्ट रीडर ज्यादा नज़र आते हैं। लेकिन Newsest में रिपोर्टर कैमरे के पीछे से भी जनता की आवाज़ उठाते हैं। चाहे वो नोएडा का ट्रैफिक मसला हो, ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों की मनमानी हो, या किसी मोहल्ले में सीवर की बदबू से लोग परेशान हों — हिंदी न्यूज़ प्लेटफॉर्म हर छोटी बात को भी गंभीरता से कवर करता है। यही कारण है कि आम लोग खुद भी कहते हैं कि "यहां जो आता है, वो हमारा मुद्दा होता है।"
इस प्लेटफॉर्म की सबसे खास बात यह है कि ये ना तो ‘ज्यादा ओवर-प्रोफेशनल’ दिखने की कोशिश करता है और ना ही ‘ओवर-डिजिटल’। इसका मोबाइल व्यू सिंपल है, पढ़ने में आसान है, और किसी विज्ञापन से ज़्यादा खबरों पर फोकस करता है। इसमें न शोर है, न ग्लैमर — सिर्फ साफ-सुथरी खबरें हैं जो हर वर्ग के पाठक के लिए बनाई जाती हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म्स पर भी हिंदी न्यूज़ प्लेटफॉर्म की मौजूदगी बढ़ रही है, लेकिन उसमें भी कंटेंट का फोकस खोया नहीं गया।
डिजिटल पत्रकारिता के इस दौर में जहाँ हर कोई न्यूज़ का पैकेज बना रहा है, वहां यह प्लेटफॉर्म सवाल पूछता है। यहां हर खबर को ‘स्टोरी’ नहीं, ‘जिम्मेदारी’ समझा जाता है। चाहे लोकल नगर निगम की बैठक हो या किसी गाँव में बंद स्कूल — हर रिपोर्ट में सच्चाई की तलाश की जाती है। टीम की कोशिश रहती है कि खबर को नाटकीय बनाने के बजाय उसे असरदार और भरोसेमंद बनाया जाए।
आपके जैसे पाठकों की ज़रूरत आज सिर्फ खबरें पढ़ना नहीं है, बल्कि यह जानना है कि वो खबरें आपके जीवन पर क्या असर डाल रही हैं। डिजिटल पत्रकारिता को लेकर लोगों में जो अविश्वास बढ़ा है, उसे खत्म करने का काम ये प्लेटफॉर्म बखूबी कर रहा है।
डिजिटल पत्रकारिता में जहां बहुत कुछ खो गया है, वहाँ ये प्लेटफॉर्म एक उम्मीद की तरह सामने आया है।
आप क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि आज ऐसे प्लेटफॉर्म की ज़रूरत और भी ज़्यादा बढ़ गई है? नीचे कमेंट करके बताइए।
Note: IndiBlogHub features both user-submitted and editorial content. We do not verify third-party contributions. Read our Disclaimer and Privacy Policyfor details.
Copyright © 2019-2025 IndiBlogHub.com. All rights reserved. Hosted on DigitalOcean for fast, reliable performance.