Written by AstroManch » Updated on: December 26th, 2024
महाकुंभ मेला केवल लाखों लोगों का जनसमूह नहीं है, अपितु आस्था, विश्वास, एवं संस्कृतियों के मिलन का अद्वितीय महापर्व है। हर बारह वर्षों में एक बार होने वाले इस कुम्भ पर्व में लाखों लोग अपने आध्यात्मिक शुद्धिकरण के लिए आते हैं। महाकुंभ 2025 तारीख 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा (paush purnima) से प्रयागराज में आरम्भ होगा और 26 फरवरी 2025 को महा शिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। प्रयागराज महाकुंभ 2025 (Prayagraj mahakumbh 2025) की शुरुआत पौष पूर्णिमा (paush purnima) के शुभ दिन पर होना बहुत ही लाभदायी रहेगा। पौष पूर्णिमा (paush purnima) के पावन अवसर पर प्रयागराज महाकुंभ 2025 में शाही स्नान, दान-पुण्य, और पूजा-अर्चना करने से कई लाभ प्राप्त हो सकते है। इस लेख में हम जानेंगे महाकुंभ 2025 और पौष पूर्णिमा (paush purnima) का महत्व एवं पौष पूर्णिमा पर ग्रहों के योग और उनका प्रभाव।
महाकुंभ का इतिहास
पुराणों के अनुसार महाकुंभ अद्भुत समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है। माना जाता है की जब भगवन श्री विष्णु की कृपा से अमृत के लिए समुद्र मंथन किया गया तब कई दुर्लभ वस्तुएं प्राप्त हुइं। माता लक्ष्मी का भी प्राकट्य हुआ जिससे मानवों का हित हुआ। किन्तु मंथन के अंत में अमृत कलश या सुधा कुंभ निकलने पर देवों और असुरों में भीषण संग्राम हुआ। इस संग्राम में वह सुधा कुंभ 4 बार भूलोक पर 4 भिन्न जगहों पर छलका। धरती पर हर 3 वर्षों में उन्हीं 4 स्थलों और उन्हीं तिथियों पर कुंभ मेला आयोजित होता है। यह 4 स्थल हैं हरिद्वार में गंगा-तट, प्रयागराज में त्रिवेणी संगम तट, नासिक में गोदावरी तट, और उज्जैन में शिप्रा तट। प्रत्येक स्थल पर ग्रहों और राशियों के विशेष संयोग के आधार पर कुंभ आयोजित किया जाता है।
महाकुंभ का ज्योतिषीय महत्व
प्रयागराज महाकुंभ पर्व का पौराणिक के साथ साथ ज्योतिषीय महत्व भी बहुत गहरा है। प्रयागराज में महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh) पर श्री रामचरितमानस के बालकाण्ड में 43वें दोहे की चौपाई में तुलसीदास जी ने कहा है:
माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।।
देव दनुज किंनर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।।
अर्थात - माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में जाता है तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग में आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं।
महाकुंभ 2025 सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के विशेष संयोग पर 12 साल बाद 'तीर्थो के राजा' प्रयागराज में होने जा रहा है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में और सूर्य देव मकर राशि में आते हैं, तो कुंभ प्रयागराज में होता है। इस समय बृहस्पति की नवम दृष्टि सूर्य देव पर पड़ती है जिसे परम पुण्यकारक अवधि माना जाता है। महाकुंभ का अपनी राशि पर प्रभाव जानने के लिए आप हमारे ज्योतिषाचार्यों से फ्री चैट (Free Chat with Astrologer) कर सकते हैं।
कुंभ और महाकुंभ में अंतर
क्या आप जानते हैं की कुंभ और महाकुंभ में क्या अंतर है? और महाकुंभ कितने साल में लगता है? धरती पर 4 अलग स्थलों पर हर 3 वर्षों में एक बार कुंभ पर्व होता है। प्रत्येक स्थान पर हर 12 वर्षों में एक ही बार कुंभ आता है, जिसे पूर्ण कुंभ कहते हैं। बृहस्पति ग्रह हर 12 साल में 12 राशियों का चक्र पूरा करता है। इस पर्व पर जब कुंभ होता है तो उसे पूर्ण कुंभ कहा जाता है। इस तरह 12 सालों के 12 चरण पूर्ण होने पर जो कुंभ होता है, उसे पूर्ण महाकुंभ कहा जाता है। यह एक दुर्लभ संयोग है जो योग, लगन, ग्रहों, और तिथि, सबके अनुकूल होने पर बनता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार प्रयागराज महाकुंभ 2025 (prayagraj mahakumbh 2025) भी ऐसा ही एक पूर्ण महाकुंभ है जो 144 सालों बाद सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के विशेष संयोग पर आ रहा है इसलिए यह अक्षय पुण्य लाभ देने वाला होगा।
पौष पूर्णिमा का महत्व
पौष पूर्णिमा 2025 तारीख 13 जनवरी को सोमवार के दिन है। इसका आध्यात्मिक और धार्मिक स्तर पर बहुत महत्व है। किन्तु महाकुंभ 2025 के पहले दिन ही पौष पूर्णिमा जैसी पावन तिथि के आने से इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। पौष पूर्णिमा को शाकम्भरी पूर्णिमा (shakambhari purnima) के रूप में भी मनाया जाता है, जो प्रकृति की देवी मानी जाती हैं। उनकी कृपा से भूख और सूखे से जूझ रही धरती को नवजीवन प्राप्त हुआ था।
महाकुंभ 2025 में पौष पूर्णिमा: ग्रहों का प्रभाव
पौष पूर्णिमा चंद्रमा और सूर्य के सामंजस्य का प्रतीक है, जो ऊर्जा संतुलन और आध्यात्मिक शांति देता है। वैसे तो पूर्णिमा पर चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं में होते हैं, इसलिए इस दिन चंद्र की पूजा करना फलदायी होता है। किन्तु पौष मास सूर्य को समर्पित होने से इस दिन सूर्य की पूजा और अर्घ्य का भी विशेष महत्व है। इस दिन गंगाजल, त्रिवेणी संगम या अन्य किसी पवित्र नदी के पानी से नहाकर भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। पौष पूर्णिमा 2025 पर भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस पूर्णिमा पर पितृ तृप्ति के लिए पितरों की विशेष पूजा और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। सौभाग्य और समृद्धि के लिए इस पर्व पर भगवान विष्णु-लक्ष्मी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। प्राचीन शास्त्रों में इस दिन तिल, गुड़ और ऊनी वस्त्रों के दान का विशेष महत्व बताया गया है। पौष पूर्णिमा पर अपना राशिफल जानने के लिए आप हमारे ज्योतिषाचार्यों से फ्री चैट (Free Chat with Astrologer) भी कर सकते हैं।
पौष पूर्णिमा पर शाही स्नान के लाभ
पौष पूर्णिमा पर त्रिवेणी संगम में स्नान बहुत शुभ और मंगलकारी है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन नदी में स्नान करने से शारीरिक और आत्मिक शुद्धि होती है। इसे पुण्य प्राप्ति का अवसर भी मानते हैं, क्योंकि इस दिन चंद्रमा की ऊर्जा मानव भावनाओं और मनोस्थिति को प्रभावित करती है।
पौष पूर्णिमा 2025 में महाकुंभ का पहला स्नान प्रयागराज में होगा, जिसे ज्ञान, प्रकाश और आत्मिक उन्नति का केंद्र माना गया है। इस दिन दुर्लभ रवि योग बन रहा है, सुबह 7:15 बजे से सुबह 10:38 बजे तक, जो अत्यंत गुणकारी है और सभी दोषों को नष्ट कर देता है। रवि योग में प्रयागराज में महाकुंभ 2025 शाही स्नान और सूर्य पूजा करने से आयु और सेहत में वृद्धि होती है और रोगों से मुक्ति मिलती है। चंद्र की कोमल किरणों से शुद्ध हुए जल में स्नान करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक तनाव दूर होता है। इसके अतिरिक्त इस शाही स्नान से आत्मा की भी शुद्धि होती है, पाप नष्ट होते हैं, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अगर आपकी जन्म कुंडली में चन्द्रमा कमज़ोर है या आप राहु या शनि से प्रभावित हैं तो पौष पूर्णिमा 2025 में शाही स्नान आपको मानसिक शांति दे सकता है तथा आपकी समस्याओं का निवारण कर सकता है। पौष पूर्णिमा महाकुंभ 2025 शाही स्नान का अपनी राशि पर प्रभाव जानने के लिए हमारे ज्योतिषाचार्यों से फ्री चैट (Free Chat with Astrologer) करें।
महाकुंभ 2025 में पौष पूर्णिमा: आध्यात्मिकता का उत्सव
महाकुंभ मेला एक भव्य आध्यात्मिक संगम है जो भक्ति, एकता, और भारत की जीवंत संस्कृति की धरोहर माना जाता है। इसे यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया गया है। महाकुंभ 2025 'तीर्थों की नगरी' प्रयागराज में 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा (paush purnima) की विशिष्ट तिथि से आरम्भ हो रहा है। आस्था के इस पर्व में भाग लेने के लिए श्रद्धालु और तीर्थयात्री दुनिया के सभी कोनों से आएंगे। महाकुंभ 2025 शाही स्नान की सब तिथियाँ महाकुंभ की वेबसाइट पर उपलभ्ध है। यह शाही स्नान सभी के लिए अत्यंत फलदायी है। हमारे अगले लेख में जानिए पौष पूर्णिमा का आपके राशि पर क्या प्रभाव होगा और कुंभ स्नान से किन राशियों को अधिक लाभ होगा। यदि आप भी कुंभ स्नान करने का विचार कर रहे हैं या पौष पूर्णिमा 2025 (paush purnima 2025) का अपने जीवन पर क्या असर होगा ये जानना चाहते हैं तो आज ही हमारे ज्योतिषशास्त्र के विशेषज्ञों से बात (Free Call with Astrologer) करें।
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