Written by Primefeeds » Updated on: July 14th, 2025
भारतीय अंतरिक्ष यात्रा में 14 जुलाई 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब Shubhanshu Shukla की अंतरिक्ष से सफल वापसी हुई। वह Ax-4 return मिशन के जरिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से लौटे हैं। यह मिशन भारत और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय के बीच सहयोग का प्रतीक है।
Shukla को ISRO और Axiom Space के साझा अभियान में अंतरिक्ष में भेजा गया था। यह मिशन भारत के लिए बेहद खास था क्योंकि इससे पहले केवल राकेश शर्मा ही अंतरिक्ष गए थे। Ax-4 मिशन में Shukla को SpaceX के Crew Dragon ‘Grace’ से भेजा गया था और उन्होंने ISS में 18 दिन बिताए। इस दौरान उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग पूरे किए। यह मिशन ISRO की Gaganyaan परियोजना की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
Shubhanshu Shukla भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं और 2019 में ISRO के Gaganyaan मिशन के लिए चुने गए थे। वह उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर से आते हैं और उनकी तकनीकी शिक्षा वायुसेना अकादमी में हुई। उन्हें रूस के Gagarin Training Center और ISRO के Human Space Flight Center, बेंगलुरु में कठोर प्रशिक्षण दिया गया।
उनकी उड़ान क्षमता, वैज्ञानिक समझ और नेतृत्व गुणों के कारण उन्हें Axiom-4 मिशन में चुना गया। इस मिशन के जरिए वह अंतरिक्ष में जाने वाले पहले ISRO प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्री बने। मिशन की लागत लगभग ₹500 करोड़ बताई गई थी, जिसमें भारत सरकार और Axiom Space दोनों की भागीदारी थी। उनका कॉल साइन “Shux” था और मिशन के दौरान उन्हें दुनियाभर से सराहना मिली।
25 जून 2025 को दोपहर 12:01 बजे IST पर, Shubhanshu Shukla और उनकी टीम को SpaceX के Falcon 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया। Crew Dragon कैप्सूल ने 28 घंटे बाद अंतरिक्ष स्टेशन से सफलतापूर्वक डॉकिंग की। मिशन में Shukla के साथ अमेरिका की Peggy Whitson, पोलैंड के Sławosz Uznański और Hungary के Tibor Kapu शामिल थे। टीम ने ISS पर कुल 18 दिन बिताए और इस दौरान 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग पूरे किए। इन प्रयोगों में ISRO द्वारा डिजाइन किए गए 7 प्रमुख प्रोजेक्ट्स शामिल थे। इनमें microgravity में पौधे उगाने, हड्डियों और मांसपेशियों की जांच, मानसिक स्वास्थ्य का विश्लेषण और भारतीय जैविक सेंसर का परीक्षण शामिल था।
ISS पर Shubhanshu Shukla का अनुभव अत्यंत रोचक और वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने वहां भारतीय छात्रों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉल के माध्यम से संवाद किया। यह कॉल 28 जून को आयोजित हुआ था, जिसमें उन्होंने अंतरिक्ष से देशवासियों को संबोधित किया। 4 और 8 जुलाई को उन्होंने भारत के स्कूली बच्चों से रेडियो के ज़रिए बातचीत की। Shukla ने वहां “गाजर का हलवा” भी अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को खिलाया, जिससे भारतीय संस्कृति का स्पर्श अंतरिक्ष तक पहुंचा। उन्होंने वहां सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भारत का प्रतिनिधित्व किया। ISS पर उनका प्रत्येक दिन शोध और सहयोग में बीता। उन्होंने microgravity में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया और ISRO को महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराया।
Ax-4 return की प्रक्रिया 14 जुलाई को दोपहर 4:30 बजे शुरू हुई। Crew Dragon ने ISS से सफलतापूर्वक undock किया। अलगाव के बाद कुछ मिनटों में Dragon कैप्सूल ने धीमी गति से ISS से दूरी बनाना शुरू किया। लगभग 21 घंटे की वापसी यात्रा के बाद, Crew Dragon 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे IST पर प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन करेगा।
वापसी से पहले, सभी वैज्ञानिक उपकरणों और डेटा को Dragon कैप्सूल में सुरक्षित किया गया। ISRO के माइक्रोएल्गी, पौधों के सैंपल्स, बायोमेडिकल डेटा और वियरएबल टेक्नोलॉजी को भी साथ लाया गया है। ये सभी प्रयोग Gaganyaan मिशन की तैयारी में उपयोगी सिद्ध होंगे। वैज्ञानिक, इंजीनियर और मेडिकल विशेषज्ञ उनके लौटने के बाद शारीरिक जांच और डेटा एनालिसिस करेंगे।
Ax-4 मिशन की सफलता के बाद, भारत अब Gaganyaan मानव मिशन की ओर तेजी से बढ़ रहा है। ISRO ने घोषणा की है कि 2027 तक वह पूरी तरह स्वदेशी अंतरिक्ष यान से मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा। Shubhanshu Shukla इस योजना का मुख्य हिस्सा होंगे। उन्हें इस मिशन के अनुभव से जो ज्ञान और समझ मिली है, वह Gaganyaan की सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक मानकों को ऊंचाई देने में मदद करेगी। भविष्य में वे ISRO की ट्रेनिंग यूनिट्स का नेतृत्व कर सकते हैं या विज्ञान संचार के लिए ब्रांड एंबेसडर भी बन सकते हैं। इससे युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान में करियर चुनने की प्रेरणा मिलेगी और भारत में STEM शिक्षा को नया बल मिलेगा।
निष्कर्ष: Ax-4 return से भारत की नई उड़ान
Shubhanshu Shukla की वापसी केवल एक वैज्ञानिक सफलता नहीं, बल्कि भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। उन्होंने अपने कार्य, आत्मविश्वास और समर्पण से यह सिद्ध कर दिया कि भारत अब केवल अंतरिक्ष तकनीक का अनुयायी नहीं, बल्कि एक नेतृत्वकर्ता बन रहा है। Ax-4 return मिशन ने न केवल भारत की अंतरिक्ष शक्ति को वैश्विक मंच पर स्थापित किया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण भी पेश किया है। Shukla की यह यात्रा उन युवाओं को प्रेरित करेगी जो विज्ञान, अंतरिक्ष और देश सेवा के क्षेत्र में कुछ बड़ा करना चाहते हैं।
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