Written by AstroManch » Updated on: June 17th, 2025
मकर संक्रांति एक अनोखा त्यौहार है जो समग्र भारत में विवध प्रकारों से मनाया जाता है। यह दिवस सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और 'उत्तरायण' अर्थात 'सूर्य के उत्तर की ओर यात्रा' की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार सर्दियों से गर्मियों की ओर परिवर्तन और फसल उत्सव के रूप में पूरे भारत में पोंगल, लोहरी, बिहू, उत्तरायण आदि जैसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है। 2025 में, मकर संक्रांति 14 जनवरी को महाकुंभ के दूसरे दिन पड़ेगी।
महाकुंभ 2025 तारीख 13 जनवरी पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर समाप्त होगा। इस भव्य आयोजन में मकर संक्रांति 2025 पर शाही स्नान का विशेष महत्व है, जो पापों के विनाश, आरोग्य प्राप्ति, और कर्म शुद्धि का अनूठा अवसर प्रदान करता है। त्रिवेणी संगम पर स्नान से आध्यात्मिक जागृति और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानें, इस विशेष दिन का महाकुंभ 2025 में महत्व।
मकर संक्रांति 2025 का ज्योतिषीय महत्व
मकर संक्रांति 2025, 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ मनाई जाएगी। 2025 की यह मकर संक्रांति अधिक महत्वपूर्ण है क्यूंकि इस दिन स्वग्रही मंगल पुष्य योग भी बन रहा है। 19 साल बाद बन रहे इस दुर्लभ संयोग में खरीदारी करने से आर्थिक जीवन में प्रगति मिलती है। साथ ही इस शुभ योग में दान, पुण्य, और आध्यात्मिक कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दिन सूर्य के उत्तरायण गमन की शुरुआत का प्रतीक है, जो ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना जाता है। गीता में श्रीकृष्ण ने उत्तरायण को शुभ काल बताते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया है:
अग्निर्ज्योतिरहः शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम्।
तत्र प्रयाता गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्मविदो जनाः।।
अर्थात - उत्तरायण के छह मास अत्यंत शुभ काल है जिसमें सूर्य देव उत्तर की तरफ बढ़ते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है। इस प्रकाश में शरीर का त्याग करने से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है, उनका पुनर्जन्म नहीं होता और वे ब्रह्म को प्राप्त करते हैं।
मकर राशि शनि ग्रह की राशि है, और सूर्य-शनि का यह संयोग कर्म, धैर्य और अनुशासन को बल देता है। ज्योतिषीय दृष्टि से, यह समय सभी राशियों के लिए आत्मचिंतन, सकारात्मक बदलाव और नए आरंभ का है। सूर्य के मकर राशि में गोचर से जातकों की कुंडली के विभिन्न भावों में लाभकारी प्रभाव पड़ता है, जैसे करियर, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास में वृद्धि।
इसके साथ ही, दान, स्नान और पूजा का विशेष महत्व होता है, जो नकारात्मक ग्रह प्रभावों को कम करके सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। इस दिन किए गए कर्म और संकल्प पूरे वर्ष लाभकारी परिणाम देते हैं, जिससे यह दिन आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति का विशेष अवसर बनता है। इस पवित्र दिन का पूर्ण लाभ लेने के लिए आज ही हमारे ज्योतिषियों से फ्री चैट करें (Free Chat with Astrologer)!
महाकुंभ की दिव्यता और महत्व
हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व का त्योहार है। ऐसा माना जाता है कि इस समय काल में पवित्र नदियों का संगम दैवीय ऊर्जा से भर जाता है, और इसमें पवित्र डुबकी लगाने से पाप नष्ट होते हैं और कर्म ऋण दूर होते हैं।
मकर संक्रांति 2025 में महाकुंभ स्नान और दान का महत्व
महाकुंभ 2025 प्रयागराज में मकर संक्रांति के आने पर सांसारिक और अलौकिक ऊर्जा का मेल अद्वितीय होता है। सूर्य का मकर राशि में आना पुरानी बातों को पीछे छोड़ कर नयी शुरुआत करने का समय है। इसी तरह महाकुंभ भी अपनी आध्यात्मिक क्षमता बढ़ने और आंतरिक शुद्धि और मोक्ष की तरफ कार्यरत होने का समय है। महाकुंभ के दिव्य जल में स्नान करने और पूजा अर्चना और दान पुण्य जैसे आध्यात्मिक अनुष्ठान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त:
सूर्य मकर राशि में सुबह 9:03 मिनट पर प्रवेश करेंगे। इसलिए महाकुंभ 2025 प्रयागराज स्नान और दान पुण्य का पुण्यकाल समय 8 घंटे 42 मिनट का रहेगा जो सुबह 9:03 मिनट से शुरु होकर शाम 5:46 मिनट पर समप्त होगा। महाकुंभ 2025 शाही स्नान का समय महा-पुण्य काल में सुबह 09:03 मिनट से लेकर सुबह 10:48 मिनट तक रहेगा।
मकर संक्रांति का राशियों पर प्रभाव
यह मकर संक्रांति चार राशियों के लिए बहुत शुभ है। यह चार राशियाँ है मेष, सिंह, वृश्चिक, और मीन राशि। किन्तु तीन राशियों के लिए यह मकर संक्रांति शुभ नहीं है। यह राशियां है तुला, मिथुन, और कुंभ राशि। शेष जो पांच राशियाँ है - वृषभ, कर्क, कन्या, धनु, और मकर राशि, इनके लिए संक्रांति सामान्य रहेगी। मकर संक्रांति 2025 का अपनी राशि पर प्रभाव और इस दिन का पूर्ण लाभ लेने के लिए व्यक्तिगत उपाय जानने के लिए आज ही हमारे ज्योतिषियों से बात करें, वो भी निःशुल्क (Free Call with Astrologer)!
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