प्राकृतिक आपदाएँ व आपदा प्रबंधन

Written by rehanablogs  »  Updated on: October 05th, 2024

प्राकृतिक आपदाएँ

आपदा प्रायः एक अनपेक्षित घटना होती है जो ऐसी ताकतों द्वारा घटित होती है , जो मानव के नियंत्रण में नहीं है |

आपदा का अंग्रेजी शब्द फ्रांसीसी शब्द है जो "disaster " से आया है यह दो शब्दों 'des' से एवं 'Astre' से बना है जिसका अर्थ है -खराब तारा

प्राकृतिक आपदा प्रकृति में कुछ ही समय में घट जाने वाली घटना या परिवर्तन है ऐसी घटनाओं के घट जाने के कारण समाज को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वे समस्याएँ संकट मानी जाती है |

प्राकृतिक आपदाओं का वर्गीकरण

उत्पति के अनुसार आपदाएं प्राकृतिक और मानव निर्मित होती है प्राकृतिक आपदाओं से निम्नलिखित विभिन्न प्रकारों के रूप में देखा जा सकता है :-

1.वायुमंडलीय :- बर्फानी तूफान ,टोरनैडो ,सूखा,करकापात ,पाला ,लू , शीत लहर

२. भौमिक :-भूकंप ,ज्वालामुखी, भूस्खलन,मृदा अपरदन

3.जलीय :- ज्वार, महासागरीय धाराएं, सुनामी , सूखा

4जैविक :-बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण, बर्ड फ्लू ,डेंगू इत्यादि |

भारत में प्राकृतिक आपदाएं

भारत की कुछ मुख्य प्राकृतिक आपदाएं निम्नलिखित है :-

भूकंप

भूकंप की उत्पत्ति विवर्तनिकी से संबंधित है भूकंप विज्ञान भूकंप और भूकंपीय तरंगों का अध्ययन है टेक्टोनिक प्लेट के कारण भूकंप आते हैं जो कंपन उत्पन्न होते हैं उन्हें भूकंपीय तरंगे कहा जाता है । इंडियन प्लेट प्रतिवर्ष उत्तर उत्तर पूर्व दिशा में 1 सेंटीमीटर खिसक रही है परंतु उत्तर में स्थित यूरेशियन प्लेट इसके लिए अवरोध पैदा करती है ।

भूकंप के प्रभाव :-

भूतल पर :- भू- दबाव, दरारे, बस्तियां ,भूस्खलन

जल पर :-लहरें ,जल गतिशीलता ,सुनामी

भूकंप के अध्ययन को सीस्मोलॉजी कहते हैं ।

सीस्मिक तरंगों के प्रकार :-

यह चार प्रकार की होती हैं -P तरंगे, S तरंगे , R तरंगे , L तरंगे

भूकंप को कैसे मापते हैं :-

रिक्टर स्केल -ऊर्जा मुक्त

संशोधित मर्केल्ली स्केल -लोगों पर प्रभाव

सुनामी

भूकंप और ज्वालामुखी से महासागरीय धरातल में अचानक हलचल पैदा होती है और महासागरीय जल का अचानक विस्थापन होता है।परिणाम स्वरूप ऊर्ध्वाधर ऊंची तरंगे पैदा होती है जिन्हें सुनामी या भूकंपीय समुद्री लहरें कहां जाता है ।

महासागर में जल तरंग की गति जल की गहराई पर निर्भर करती है इसकी गति उथले समुद्र में ज्यादा और गहरे समुंद्र में कम होती है । तटीय क्षेत्रों में यह तरंगे ज्यादा प्रभावी होती है और व्यापक नुकसान करती है ।

भूस्खलन

भूस्खलन का अर्थ मृदा या चट्टान के खिसकने से हैं जो कि गुरुत्व द्वारा नियंत्रित हो सकती है ।

मृदा लप: तेज बारिश और भूकंप इस के कारण होते हैं। यह भारी हिमपात में भी हो सकता है।

चक्रवात

गर्म नम हवा समुंद्र के ऊपर ऊपर की ओर इसकी है नीचे कम दबाव का क्षेत्र बनता है।

अब निम्न दबाव का क्षेत्र आसपास के उच्च दबाव वाली हवा से भर गया ।

ठंडी हवा ऊपर की ओर बढ़ते हुए समुद्र के ऊपर गर्म और नम हो जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है ।

इस निरंतर चक्र के परिणाम स्वरूप हवा में बादलों का निर्माण होता है जो समुद्र के पानी के वाष्पित होने पर बनते रहते हैं।

यह तूफान प्रणाली के गठन की ओर जाता है। जैसे ही तूफान प्रणाली तेजी से घूमती है केंद्र में एक आंख बनती है। तूफान की आँख को शांत और स्पष्ट भाग माना जाता है। तूफान की आंख में हवा का दबाव कम होता है।

चक्रवात दो तरह के होते हैं :-

उष्णकटिबंधीय चक्रवात

गर्म उष्णकटिबंधीय महासागर में उत्पन्न होने वाले किसानों को उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात कम दबाव वाले उग्र मौसम तंत्र हैं और 30 डिग्री उत्तर से 30 डिग्री दक्षिण अक्षांश के बीच पाए जाते हैं । यह आमतौर पर 5000 किलोमीटर क्षेत्र में फैला होता है ।उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक इंजन की तरह होते हैं जिसे ऊर्जा प्राप्ति समुद्र सतह से प्राप्त जलवाष्प की संघनन प्रक्रिया में छोड़ी गई गुप्त ऊष्मा से होती है।

कम वायुमंडलीय दबाव ,तेज हवाएं और भारी वर्षा इस प्रकार के चक्रवात की विशेषताएं हैं ।

समशीतोष्ण चक्रवात

यह ऐसे तूफान है जो उष्ण कटिबंध के बाहर आते हैं ।

इन्हें अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है अन्य नाम ललाट चक्रवात है।

यह समशीतोष्ण और उच्च अक्षांशों में पाए जाते हैं ।

बाढ़

बाढ़ आमतौर पर अचानक नहीं आती और कुछ विशेष क्षेत्र में ही आती है। बाढ़ तब आती है, जब नदी जल वाहिकाओं में इनकी क्षमता से अधिक जल बहाव होता है और जल बाढ़ के रूप में मैदान के निचले हिस्से में भर जाता है। कई बार तो झीले और आंतरिक जल क्षेत्र में भी क्षमता से अधिक जल भर जाता है। बाढ़ आने के और भी कई कारण हो सकते हैं-जैसे तटीय क्षेत्र में तूफानी महोर्मि, लंबे समय तक होने वाली तेज बारिश, हिम का पिघलना और अधिक मृदा अपरदन के कारण नदी जल में जलोढ़ की मात्रा में वृद्धि होना।

सूखा

सूखा ऐसी स्थिति को कहा जाता है जब लंबे समय तक कम वर्षा और जलाशय तथा भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग से भूतल पर जल की कमी हो जाए।

सूखा एक जटिल परिघटना है जिसमें कई प्रकार के मौसम विज्ञान संबंधी तथा अन्य तत्व जैसे वाष्पीकरण, भौम जल, मृदा में नमी, कृषि पद्धतियां, विशेषत: उगाई जाने वाली फसलें, सामाजिक आर्थिक गतिविधियां और पारिस्थितिकी शामिल है ।

आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005

इस अधिनियम में आपदा को किसी क्षेत्र में घटित एक महा विपत्ति दुर्घटना संकट या गंभीर घटना के रूप में परिभाषित किया गया है जो प्राकृतिक या मानव कृत कारणों या दुर्घटना या लापरवाही का परिणाम हो और जिससे बड़े स्तर पर जान की क्षति या मानव पीड़ा पर्यावरण की हानि एवं विनाश हो और जिस की प्रकृति या परिणाम प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले मानव समुदाय की सहन क्षमता से परे हो।

आपदा निवारण और प्रबंधन की तीन अवस्थाएं हैं :

1.आपदा से पहले -आपदा के बारे में आंकड़े और सूचना एकत्र करना ,आपदा संभावित क्षेत्रों का मानचित्र तैयार करना और लोगों को इसके बारे में जानकारी देना।इसके अलावा संभावित क्षेत्रों में आपदा योजना बनाना,तैयारियां रखना और बचाव का उपाय करना।

2.आपदा के समय -युद्ध स्तर पर बचाव व राहत कार्य , जैसे -आपदा ग्रस्त क्षेत्रों से लोगों को निकालना, राहत कैंप, जल,भोजन और दवाई आपूर्ति।

 3.आपदा के पश्चात -प्रभावित लोगों का बचाव और पुनर्वास। भविष्य में आपदाओं से निपटने के लिए क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।

आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की स्थापना किस दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदम का उदाहरण है।

  


Disclaimer:

We do not claim ownership of any content, links or images featured on this post unless explicitly stated. If you believe any content or images infringes on your copyright, please contact us immediately for removal ([email protected]). Please note that content published under our account may be sponsored or contributed by guest authors. We assume no responsibility for the accuracy or originality of such content. We hold no responsibilty of content and images published as ours is a publishers platform. Mail us for any query and we will remove that content/image immediately.


Related Posts