कुंजा देवी शक्ति पीठ - प्रकृति की शांति में स्थित है देवी का यह शक्ति स्थल

Written by Rajiv Sinha  »  Updated on: July 26th, 2024

पहाड़ो की वादियां हो

प्रकृति की अनुपम छटा हो...

दूर एकांत में भोर की लालिमा लिए उगता सूरज सामने हो

और

पास ही मंदिर के घंटे की ध्वनि कानों में पड़ रही हो

तो फिर इससे अच्छी बात ही क्या है.....!!!


देवभूमि उत्तराखंड में स्थित कुंजा देवी शक्ति स्थल का भोर का दृश्य ऐसा ही मनोरम होता है। कुंजा देवी शक्ति पीठ पहुंचने के लिए पहले ऋषिकेश आना पड़ता है। ऋषिकेश राजधानी दिल्ली सहित देश के कई बड़े शहरो से रेल मार्ग से सीधे जुड़ा हुआ है। अगर आप कुंजापुरी की यात्रा की योजना बना रहे है तो पहले आप ट्रेन से ऋषिकेश आ सकते है और फिर ऋषिकेश आकर यहाँ से आपको आगे की यात्रा सड़क मार्ग से करनी होगी क्योकि ऋषिकेश के बाद ट्रेन की सुविधा नहीं है। अगर हवाई मार्ग की बात करें तो यहाँ का नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून है।




कुजा देवी शक्तिपीठ उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में पड़ता है। यह ऋषिकेश से लगभग 27 किलोमीटर दूर है। कुजा देवी शक्तिपीठ तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से ऋषिकेश से नरेंद्रनगर पहुंचना होता है। ऋषिकेश से नरेंद्रनगर की दुरी लगभग 16 किलोमीटर है। सड़के अच्छी है और चौड़ी है। फिर नरेंदरनगर से प्राइवेट टैक्सी के माध्यम से कुजा देवी शक्तिपीठ पहुंचना होता है। वैसे ऋषिकेश से सीधे भी टैक्सी बुक करके जाया जा सकता है।


कुंजापुरी शक्तिपीठ ऋषिकेश गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग 94 पर स्थित है और सड़क मार्ग से ऋषिकेश, दिल्ली आदि कई शहरो से सीधे जुड़ा है तो इस कारण यहाँ आने में आपको किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। कुंजा देवी शक्तिपीठ वर्ष भर खुली रहती है और यहाँ कभी भी जाया सकता है पर नवरात्रि में यहाँ विशेष भीड़ होती है। ऋषिकेश से हिंडोला खाल तक बस सेवा उपलब्ध है और फिर हिंडोला खाल से आपको प्राइवेट टैक्सी लेनी पड़ेगी। हिंडोला खाल से कुंजा देवी मंदिर मात्र 7 किलोमीटर दूर है।


कुंजा देवी स्थल तक पहुंचने के लिए बहुत ऊंचाई पर चढ़ना होता है। सीढ़ियों पर चढ़ने के लिए छोटा सा प्रवेश द्वार है। इसके लिए बिलकुल खड़ी सीढ़ी बनी है। इन खड़ी सीढ़ियों पर चढ़कर ही माता के मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। इन सीढ़ियों की संख्या तीन सौ से ऊपर है। तो अगर आप कुंजा देवी शक्तिपीठ जाएँ तो फिर उन खड़ी सीढ़ियों पर चढ़ने के लिए तैयार रहें क्योकि कुछ लोगो को सीढ़ियों पर चढ़ने में समस्या होती है तो आप इस बात का पहले से ध्यान रखे।


हालांकि कुछ वर्षो पहले तक यहाँ वैकल्पिक मार्ग भी था जो पहाड़ो पर सड़के मार्ग बने हुए थे पर देखभाल की कमी और प्रकृति की क्रूरता के कारण वह मार्ग अब एक इतिहास से ज्यादा और कुछ नहीं रह गया है। भू-स्खलन के कारण वह मार्ग ध्वस्त हो चुका है।




कुंचा देवी मूलरूप से माँ दुर्गा का मंदिर है और इस मंदिर की गिनती ५२ शक्तिपीठों में होती है। माता को कुंचा देवी या कुंजा देवी दोनों ही नामों से जाना जाता है। यहाँ माता के सिर के बालों के गुच्छे गिरे थे इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम कुंजा देवी है। क्योकि बाल या बालों के गुच्छों को संस्कृत में कुंज या कुंजा के नाम से भी जाना जाता है।


टिहरी गढ़वाल के अनेक परिवारों में कुंजा देवी कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है और लोग इस शक्ति पीठ के हवन कुंड के भस्म का टीका लगाते है, उन्हें अपने घरों में भी रखते है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और यदि कोई भूत प्रेत बाधा से आप परेशान है तो वह भी दूर भाग जाता है। माँ कुंजा देवी की पूजा में लाल रंग की चुन्नी, श्रीफल, पंचमेवा, मिठाई व फूल चढ़ाये जाते है।


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वह दैवीय शक्ति, जो इस संसार के सभी प्राणियों की माँ है ... जिसने इस ब्रह्मांड का निर्माण किया .. जो इस ब्रह्माण्ड को चला रही है और जो अंत में इसका अंत कर देगी ... वह है माँ दुर्गा और उनकी विभिन्न शक्तियां ... वही भगवान् विष्णु की योगमाया है तो वही भगवान् शिव की पार्वती है वही लक्ष्मी है वही सरस्वती है और वही काली है ... वह दुर्गा परम शक्ति है ... पर्मेश्वरी है ... वह भगवान् विष्णु और शिव के लिए भी पूजनीय है ... क्योकि वह आद्या शक्ति है....वही निर्मात्री है, वही पालन कतृ है और वही संहारक शक्ति है .... उस परम शक्ति दुर्गा को हमारा प्रणाम ... ।


लेख :

राजीव सिन्हा 



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